“तीन दिवसीय नवीन आपराधिक कानून प्रशिक्षण का प्रथम चरण पूर्ण”
अनुसंधान ही न्याय की नींव है”: पुलिस अधीक्षक श्री विनोद कुमार सिंह
पुलिस अधीक्षक कार्यालय, आगर मालवा स्थित सभागार में आज दिनांक 11अप्रैल 2025 को तीन दिवसीय नवीन आपराधिक अधिनियम 2023 पर आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रथम चक्र का समापन किया गया। यह प्रशिक्षण पुलिस मुख्यालय भोपाल के निर्देशानुसार आयोजित किया गया था, जिसका उद्देश्य अनुसंधान एवं पर्यवेक्षणकर्ता अधिकारियों को भारतीय न्याय संहिता 2023 , भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 की अद्यतन धाराओं एवं प्रक्रियाओं से अवगत कराना था।
प्रशिक्षण के समापन अवसर पर पुलिस अधीक्षक श्री विनोद कुमार सिंह द्वारा तीन दिवस तक चले इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की समीक्षा करते हुए प्रतिभागियों से उनके अनुभव साझा करने का आग्रह किया गया। उन्होंने कहा कि “नवीन आपराधिक कानून केवल प्रक्रियाओं का परिवर्तन नहीं, बल्कि न्यायिक सोच में आमूलचूल परिवर्तन लाने का प्रयास हैं। इन कानूनों का प्रभावी क्रियान्वयन तभी संभव है जब हमारे अनुसंधानकर्ता अधिकारी विधिक ज्ञान, तकनीकी दक्षता और संवेदनशीलता से युक्त हों। प्रशिक्षित अनुसंधान अधिकारी ही न्याय की सशक्त नींव हैं।”
पुलिस अधीक्षक महोदय ने प्रशिक्षण में भाग लेने वाले सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों से संवाद कर प्रशिक्षण की उपयोगिता पर सुझाव आमंत्रित किए तथा फीडबैक फॉर्म के माध्यम से उनकी राय संकलित की गई। उन्होंने यह भी कहा कि यह प्रशिक्षण एक दिशा भर नहीं, बल्कि अनुसंधान में गुणवत्ता सुनिश्चित करने की प्रक्रिया है।
प्रशिक्षण सत्र में विषय विशेषज्ञों द्वारा विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं पर व्याख्यान दिए गए।अनुविभागीय पुलिस अधिकारी आगर श्री मोतीलाल कुशवाहा ने नवीन आपराधिक अधिनियम की प्रमुख धाराओं पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए उनके विधिक और व्यावहारिक पक्षों की समझ प्रदान की। वहीं फोरेंसिक अधिकारी उज्जैन श्रीमती शकुन्तला गवली ने वैज्ञानिक साक्ष्य संकलन की प्रक्रिया, घटनास्थल की सुरक्षा, और डिजिटल साक्ष्यों के महत्व पर व्याख्यान देते हुए प्रशिक्षण को और अधिक तथ्यपरक बनाया।
प्रशिक्षण में फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट उपनिरीक्षक श्री वरुण सिंदल द्वारा फिंगरप्रिंट एकत्रीकरण (चांस प्रिंट) की विधि, फोरेंसिक साक्ष्य की श्रेणियाँ तथा कोर्ट में उनकी स्वीकार्यता को लेकर व्यावहारिक जानकारी दी गई। साथ ही सीसीटीएनएस प्रभारी उपनिरीक्षक श्री मानसिंह परमार, प्रधान आरक्षक राधेश्याम सौराष्ट्रिय व आरक्षक वीरभान सिंह यादव द्वारा BNSS की धारा 172, ई-एफआईआर और जीरो एफआईआर से संबंधित प्रावधानों की विस्तृत जानकारी दी गई। उन्होंने अपनी टीम के साथ प्रोजेक्टर के माध्यम से प्रशिक्षण को तकनीकी दृष्टि से रोचक और प्रायोगिक बनाया।
इसके अतिरिक्त उन्होंने तकनीकी पहलुओं के संचालन में सहयोग प्रदान किया और प्रतिभागियों को नवीन डिजिटल प्रक्रियाओं की जानकारी दी।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के इस प्रथम चक्र में कुल 50 अधिकारी एवं कर्मचारियों को नवीन आपराधिक कानूनों के तहत प्रभावी अनुसंधान हेतु प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षण का यह क्रम आगे भी जारी रहेगा, जिससे जिले में पदस्थ समस्त अनुसंधान एवं पर्यवेक्षण अधिकारी नवीन विधानों के प्रति सजग एवं सक्षम बन सकें।