बेटे की हत्या के मामले में माँ को आजीवन कारावास
पुलिस अधीक्षक श्री विनोद कुमार सिंह के निर्देशन व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुश्री निशा रेड्डी, अनुविभागीय पुलिस अधिकारी सुसनेर के मार्गदर्शन में तथा थाना प्रभारी सोयत श्री यशवंत राव गायकवाड़ के नेतृत्व में तथा थाना सोयत पुलिस व अभियोजन अधिकारियों की कड़ी मेहनत के फलस्वरूप बेटे की हत्या के मामले में आरोपी माँ पवित्राबाई पति मानसिंह सौंधिया निवासी करकड़िया, जिला आगर, मध्य प्रदेश को आजीवन कारावास और 2000 रूपयें जुर्माने की सजा दिलवाने में सफलता प्राप्त की है। अपर सत्र न्यायाधीश, सुसनेर, श्री पंकज कुमार वर्मा द्वारा आरोपी को दोषी ठहराते हुए यह सजा सुनाई गई।
घटना का विवरण:
दिनांक 14 फरवरी 2021 को देर रात करकड़िया निवासी पवित्राबाई ने अपने बेटे कृष्णपाल (उम्र 6 वर्ष) को सोते हुए एक शीशी से जहरीला पदार्थ पिलाया। जब कृष्णपाल की दादी भगतबाई ने उसे रोते हुए देखा, तो उसने पवित्राबाई को बच्चे को कुछ पिलाते हुए पाया। पूछताछ करने पर पवित्राबाई ने स्वीकार किया कि उसने बेटे को जहर पिलाया और स्वयं भी उसी जहर का सेवन किया। इसके तुरंत बाद दोनों ने उल्टियां करनी शुरू कर दीं। भगतबाई ने पवित्राबाई के हाथ से शीशी छीन ली, जिससे जहरीली दवाई की गंध आ रही थी।
घटना की सूचना परिजन और गांव के लोग कृष्णपाल और पवित्राबाई को लेकर झालावाड़ अस्पताल पहुंचे, जहां इलाज के दौरान कृष्णपाल की मृत्यु हो गई। मृतक की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में स्पष्ट कारण न मिलने के कारण विषाक्त पदार्थ के परीक्षण के लिए मृतक का विसरा भोपाल की एफ.एस.एल. भेजा गया। जाँच रिपोर्ट में विषैले पदार्थ (Imazethapyr herbicide) की पुष्टि की गई।
पुलिस कार्यवाही:
पुलिस थाना सोयतकलां में इस मामले में मर्ग क्रमांक 07/21 धारा 174 जा.फो. के तहत प्रथम सूचना दर्ज की गई थी, जिसकी जाँच उप निरीक्षक मोतीसिंह गुर्जर द्वारा की गई। मर्ग जांच में अपराध क्रमांक 181/2021 ,धारा 302 भादवि के तहत संज्ञेय अपराध का प्रकरण दर्ज कर विवेचना शुरू की गई। जाँच में पवित्राबाई द्वारा अपने बेटे को जहरीला पदार्थ पिलाने के साक्ष्य मिले। गवाहों के बयान और एफ.एस.एल. रिपोर्ट से यह अपराध सिद्ध हुआ।
अपर सत्र न्यायालय, सुसनेर में सुनवाई के दौरान एजीपी मुकेश जैन चौधरी द्वारा सभी साक्ष्यों को प्रस्तुत किया गया। न्यायालय ने आरोपी पवित्राबाई को धारा 302 भादवि के तहत दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास और 2000 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई।
प्रकरण में सराहनीय भूमिका कोर्ट मोर्हरिर आरक्षक 230 श्री आशीष सोनी, एवं सहायक ग्रेड 03 कृष्णकांत अग्रवाल के द्वारा किया गया।